रोहतक में बीजेपी से सीधी टक्कर बनने पर आंकड़ों में जीत रहे दीपेंद्र
- 2019 के लोकसभा चुनाव में 0.61 प्रतिशत के मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी की हुई थी रोहतक लोकसभा में जीत
- जजपा की इंट्री से कांग्रेस को हुआ था नुकसान, 21 हजार से ज्यादा वोट ले गया था नई-नवेली पार्टी का कैंडिडेट
रूरल आकाईव: कागज पर आंकड़ों का विश्लेषण करें तो दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक लोकसभा (लोस) सीट पर इस बार जीत हासिल करते नजर आ रहे हैं। किसान आंदोलन के प्रति नकारात्मक रूख से जननायक जनता पार्टी (जजपा) इस बार चुनावी रण में कदम नहीं टिका पा रही है। इनेलो, बीएसपी जैसे दल कांग्रेस के लिए कम से कम यहां कोई खतरा नहीं है। ऐसे में बीजेपी से सीधी टक्कर होने वाली है। ऐसा होता है तो तीन बार के लोकसभा व वर्तमान में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर लोकसभा में गूंजते नजर आएंगे।
2014 से 2019 के लोस चुनावों में हर बार रोहतक सीट पर वोटिंग टर्न आउट ज्यादा रहा है। इस बार भी इलेक्शन कमीशन उम्मीद बांधे हुए है कि वोटर टर्न आउट नया रिकोर्ड दर्ज कराए। 2009 में करीब 70 प्रतिशत के मार्जिन से दीपेंद्र ने जीत हासिल की थी। 2014 की मोदी लहर में 23 प्रतिशत का डेंट कांग्रेस को लगा लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले के बावजूद दीपेंद्र एक लाख से ज्यादा वोटों से जीत गए। इनेलो से शमशेर सिंह खरकड़ा ने एक लाख से ज्यादा वोट और भाजपा से ओम प्रकाश धनखड़ ने तीन लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे। 2009 में इनेलो प्रत्याशी नफे सिंह राठी के साथ सीधी टक्कर में दीपेंद्र ने चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।
शर्मा के लिए अबकी राह नहीं आसान
भाजपा से इन्कम्बेंट कैंडिडेट डा. अरविंद शर्मा को उम्मीद होगी कि मोदी फैक्टर अबकी बार भी उनकी नैय्या पार लगाएगा। 2024 में माहौल काफी बदल गया है। भाजपा को हुड्डा परिवार के इस गढ़ में सेंध लगाने को दोगुनी मेहनत की दरकार है। वहीं कांग्रेस हर हाल में रोहतक की सीट पांच साल के अंतराल के बाद हासिल करना चाहती है। 2019 के लोस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह हुड्डा चौथी बार अपनी किस्मत आजमा रहे थे, उन्हें धक्का तब लगा जब कुछ महीने पहले अस्तित्व में आई जजपा के कैंडिडेट प्रदीप देशवाल ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया। उन्होंने 21 हजार 211 वोट हासिल करके दीपेंद्र की हार में बड़ी भूमिका निभाई। शर्मा 0.61 प्रतिशत के मार्जिन से रोहतक से पहली बार सांसद बने।
माेदी फैक्टर के बावजूद दीपेंद्र को एक प्रतिशत से भी कम डैमेज
2014 में माेदी लहर में जहां दीपेंद्र सिंह हुड्डा को करीब 23 प्रतिशत का वोटिंग डेंट लगा था वहीं 2019 में भी मोदी फैक्टर के होते हुए दीपेंद्र काफी अच्छी पोजिशन बनाने में कामयाब रहे। 2014 के मुकाबले 2019 में महज 0.46 प्रतिशत कम वोट दीपेंद्र को मिले। अरविंद शर्मा ने कुल पांच लाख 73 हजार 845 वोट हासिल किए, हुड्डा पांच हजार 66 हजार 342 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। सात हजार 503 के बेहद नजदीकी मुकाबले में हुड्डा ने तीन बार की लोकसभा सीट गंवाई थी।
पिछले तीन बार से वोटर टर्न आउट हर बार ज्यादा
रोहतक लोकसभा सीट के साथ एक सकारात्मक संयोग भी जुड़ता है। वर्ष 2009 से वर्ष 2019 तक हुए तीन लोस चुनावों में वोटर टर्न आउट हर बार पहले से ज्यादा रहा है। 2009 में 8 लाख 35 हजार 930 यानि कि 65.56 प्रतिशत वोटिंग हुई। 2014 में 10 लाख 45 हजार 723 यानी कि 66.71 प्रतिशत मत पड़े जोकि पिछली बार से 1.15 प्रतिशत ज्यादा रहा। वहीं, 2019 में आंकड़ा 3.81 प्रतिशत बढ़कर 70.52 प्रतिशत तक बढ़ गया। कुल 12 लाख 24 हजार 994 वोट पड़े।
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