ब्राजील में फ्री स्पीच का हिमायती मस्क भारत में क्यों कर देता है अकाउंट बंद?
- एलन मस्क पर ब्राजील का सुप्रीम कोर्ट सख्त, आदेशों की पालना न करने पर कार्रवाई की बात कही
- एक्स पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप, मस्क का दावा कोर्ट के जरिए फ्री स्पीच दबाने की साजिश
- भारत में जन मुद्दाें पर पत्रकारिता करने वालों के एक्स अकाउंट्स बंद हाेने पर भी हो रही आलोचना
रूरल आकाईव : सोशस मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में टविटर) एलन मस्क आजकल हर जगह फ्री स्पीच की हिमायत करते दिख रहे हैं। वहीं मस्क जोकि फिलीस्तीन के मजबूर नागरिकों को अपने स्टारलिंक सैटेलाइट्स से इंटरनेट प्रोवाइड नहीं कर सके। यह कहते हुए युद्ध में घिरे लोगों को इंटरनेट सुविधा से वंचित रखा कि इजरायल की सरकार की अनुमति के बिना वह कुछ नहीं करेंगे। अब मस्क अपने ही कहे में फंसते दिख रहे हैं। ब्राजील की सरकार, सुप्रीम फेडरल कोर्ट के जरिए एलन मस्क को घेरती नजर आ रही है। दूसरी ओर भारत में जन मुद्दों की पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के एक्स अकाउंट लगातार बैन किए जाने पर एलन मस्क की आलोचना होती रहती है।
ब्राजील में एलन मस्क पर एक्स अकाउंट्स के जरिए फेक न्यूज (मिस्इंर्फोमेशन और डिशइनर्फोमेशन) को बढ़ावा देने के आरोप हैं। सुप्रीम फेडरल कोर्ट के अलेक्जेंड्रे डी मोरेस जिन्हें ब्राजील में फेक न्यूज के प्रति काफी सख्त रूख अख्तियार करने वाले जस्टिस के रूप में जाना जाता है एक्स के बिलिनियर मालिक को राहत देते नजर नहीं आ रहे हैं। इससे पहले ईरान में 2023 के महिलाओं के हिजाब और मोरल पोलिसिंग के विरोध प्रदर्शन पर जब सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया तो स्टारलिंक के जरिए मस्क की कंपनी ने ईरानी नागरिकों को इंटरनेट का एक्सेस दिया था। क्योंकि यहां उनके और अमेरिकी हित सधते नजर आते हैं। फिलिस्तीन में बेशक मासूम मारे जाते रहें लेेकिन उनके फ्री स्पीच के लिए तभी इंटरनेट देंगे जब इजरायल परमिशन देगा। क्या ही बाइनरी है भला जुल्म करने वाला क्यों जुल्म सहने वालों के हितों के लिए कोई कदम उठाएगा, जाहिर है अमेरिकी हित नहीं है।
20 हजार डॉलर प्रति रिएक्टिवेट अकाउंट हो सकता है फाइन
कोर्ट ने कुछ हाइप्रोफाइल राइट विंग अकाउंट्स को ब्लॉक करने के निर्देश एक्स को दिए थे। लेकिन, एलन मस्क की सोशल मीडिया कंपनी ने कोर्ट के आदेश के विपरीत अकाउंट्स को फिर से एक्टिवेट कर दिया। जिसपर कोर्ट ने एक्स पर प्रति रिएक्टिवेट अकाउंट 20 हजार डालर फाइन लगाने की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया को कानून के अनुसार ही चलना होगा।
अकाउंट्स को दोबारा डिएक्टिवेट नहीं किए जाने पर यह कार्रवाई एक्स मालिक पर की जा सकती है।वहीं एलन मस्क भी कोर्ट पर ब्राजील के नागरिकों के बोलने की आजादी को दबाने का अरोप लगा रहे हैं। वह अपने खुद के एक्स अकाउंट से जस्टिस अलेक्जेंड्रे डी मोरेस पर टिप्पणियां कर रहे हैं। एक टवीट् में उन्होंने जस्टिस अलेक्जेंड्रे डी मोरेस को एक्सपोज करने की बात कही है।
टवीट् के जरिए फैक्ट चेकर्स पर हमला
एलन मस्क फैक्ट चैकर्स को लेकर काफी एग्रेसिव रहते हैं। 14 जून 2023 के उनके एक टवीट में उन्होंने फैक्ट चैकर्स को झूठ फैलाने वाला कहा था। पूरी दुनिया फेक इंफोर्मेशन को लेकर चिंतित है, यूएन ने भी फेक न्यूज को लेकर चिंता जाहिर की है। 2016 के अमेरिकी चुनाव में फेक न्यूज का बोलबाला रहा। बुद्धिजीवियों ने यहां तक कहा कि तब प्रेजिडेंट कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप इन फेक न्यूज के जरिए अपनी लोकप्रियता को गढ़ते रहे। वहीं, 2020 के प्रेजिडेंशल इलेक्शन में भी फेक न्यूज बड़े स्तर पर फैली।
वहीं, भारत की बात की जाए तो फेक न्यूज बड़ी समस्या है। खासकर राइट विंग के फेक नैरेटिव कॉम्यूनल हारमनी में दरार पैदा करने में काफी हद तक सफल भी हुए हैं। ऑल्ट न्यूज एक इंडिपेंडेंट फैक्ट चेकिंग प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर इसके फाउंडिंग मेंबर है। भारत में मीडिया की आजादी का आलम यह है कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की 180 देशों की लिस्ट में भारत 161वें स्थान पर है।
भारत में निहित स्वार्थ, यहां बंद कर देते हैं अकाउंट
भारत में फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर बड़ा नाम है। सोशल मीडिया साइट्स पर फैलाई गई फेक न्यूज को काउंटर करने का बेहतरीन काम कर रहे हैं। इसलिए सरकार की नजर में चुभते भी हैं। वर्ष 2022 में उन्हें एक चार साल पुराने टवीट् को लेकर जेल भेज दिया गया था। कई अन्य केस भी उनपर चलाए जा रहे हैं। यूएन के चीफ एनटेनियो गुटेरस के प्रवक्ता ने भी जुबैर के समर्थन में फ्री स्पीच बरकरार रहने की बात कही थी। लेकिन, एलन मस्क भारत में फ्री स्पीच का समर्थन करने की तो बात दूर पत्रकारों और फैक्ट चेकर्स के एक्स अकाउंट ही बंद कर देता है।
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