हरियाणा की तस्वीर किसानी से, भाजपा प्रत्याशियों का विरोध, आंदोलन में हुए एक्शन का रिएक्शन

हरियाणा की तस्वीर किसानी से, भाजपा प्रत्याशियों का विरोध, आंदोलन में हुए एक्शन का रिएक्शन
  • फ्रीलांस जर्नलिस्ट सत सिंह के अनुसार हरियाणा में एग्रेरियन डिस्ट्रेस बड़ा मुद्​दा, बीजेपी के लिए कड़ी चुनौती
  • इलेक्शन कमीशन का सरकार के प्रति रवैय्या नरम, पारदर्शी इलेक्शन के लिए जरूरी की सही निगरानी की जाए
  • दुनिया का सबसे बड़ा किसान आंदोलन दिल्ली बॉर्डर पर हुआ, किसानों के लिए सरकार का बर्ताव नहीं था सही

रूरल आर्काइव: नॉर्थ इंडिया को थोड़ा बहुत समझने वाला व्यक्ति भी यह जानता है कि हरियाणा की पहचान खेती और किसानी से है। हरियाणा के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों के प्रति लोगों का विरोध किसान आंदोलन में सरकार के कड़े एक्शन का रिएक्शन है। रूरल डिस्ट्रेस राज्य में बड़ा मुद्​दा है। ऐसे में किसानों को किए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी व अन्य वादों को पूरा न करने पर सरकार के समर्थकों को जनता के बीच अपनी बात रखने में मुश्किल हो रही है।

दुनिया का सबसे बड़ा किसान आंदोलन भारत की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर हुआ। आंदोलनरत किसानों के प्रति सरकार का रवैय्या सही नहीं था, अब इसका खामियाजा भाजपा के प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं को सहना पड़ रहा है। यह कहना है हरियाणा की राजनीति पर विशेषज्ञता रखने वाले बीबीसी, टाइम्स ऑफ इंडिया, ब्रूट व अन्य प्लेटफॉर्म के लिए फ्रीलांस पत्रकारिता करने वाले सत सिंह का।

सत सिंह एक यूट्यूब चैनल पर हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर चुनावों के मुद्​दों पर संभावित नतीजों की चर्चा कर रहे थे। उन्होंने इलेक्शन कमीशन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। सत सिंह ने कहा कि देश की रक्षा से संबंधित मामलों पर राजनीति करना सही नहीं है। किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को इन मुद्​दों पर जिम्मेदारी से बोलने की जरूरत है। लेकिन, सत्ता में बैठी भाजपा सरकार ने 2019 के चुनाव में स्व्यं ही पुलवामा हमले व बालाकोट एयर स्ट्राईक को मुद्​दा बनाया। सरकार की बात आते ही इलेक्शन कमीशन का उदासीन हो जाना समझ से परे है।

जजपा को भाजपा के विरोध का मैंडेट मिला था
वर्ष 2019 में पहली बार हरियाणा विधान सभा में उतरी जननायक जनता पार्टी (जजपा) को राज्य भर में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसपर सत सिंह का कहना है कि जजपा को विधान सभा में जाट बहुल क्षेत्रों में मैंडेट मिला था, इन क्षेत्रों में भाजपा के विरोध का फैक्टर जजपा के फेवर में गया। किसान आंदोलन के दौरान सरकार द्वारा किसानों पर बरसाई लाठियों, पानी की बौछारों का हिसाब लोग मांग रहे हैं। लोकतंत्र में सभी अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन, जरूरी है कि शांति से अपनी बात विरोध करने वाले रखें। पंजाब में तो गांवों में बकायदा पोस्टर लगाए गए हैं कि किसी भी नेता से सवाल-जवाब शालीनता से किया जाए।

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